पूरा नाम- सरदार वल्लभभाई झावेरभाई पटेल
सरदार पटेल का नारा - "हमें ऊंच नीच, अमीर-गरीब तथा जाति पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।
वल्लभ भाई पटेल जन्म -31/10/1815 नाडियाड गुजरात
मृत्यु=15/12/1950 बौंबे (75 वर्ष की उम्र)
पिता- झावेरभाई पटेल
माता- लाडवा देवी
उपनाम - सरदार, लौह पुरुष
1947- के बद भारतीय स्वतन्त्रता के पहले तीन वर्षों में उप-प्रधान मन्त्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री तथा राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
2014= उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस मानने का फैसला
1913 : भारत आ गए लंदन से वकालत करने
ज्ञातव्य = है कि अंग्रेजो ने भारत को आजादी की घोषणा तब देश 565 ने स्वतन्त्र शासन की देसी रियासतो मे बेटा था जिसे ब्रिटीशस स्वतंत्र शासन की छूट दे दी थी। इस प्रकार हमारी आजादी कई छोटी छोटी रियासतों में बंटी थी। पटेल ने गृह मन्त्री के रूप में इन सभी से भारतीय गणतंत्र में शामिल होने के लिए आग्रह किया और हैदराबाद, भोपाल, जूनागढ़ और कश्मीर को छोड़कर 565 रियासले अपनी इच्छा से भारतीय गणतन्त्र में शामिल होने के लिए तैयार होगा। परन्तु सरदार पटेल के मजबूत इरादे के कारण सभी को अंत में भारत मे शामिल होने के लिए तैयार होना पड़ा बस हैदराबाद को शामिल करने के लिए "आपरेशन पोलो" चलाना पड़ा था ।
देसी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण
मुख्य लेख: भारत का राजनीतिक एकीकरण
स्वतंत्रता के समय भारत में 562 देसी रियासतें थीं। इनका क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही वीपी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था।[3] पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। केवल जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ तथा हैदराबाद स्टेट के राजाओं ने ऐसा करना नहीं स्वीकारा। जूनागढ सौराष्ट्र के पास एक छोटी रियासत थी और चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वह पाकिस्तान के समीप नहीं थी। वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। राज्य की सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत विलय चाहती थी। नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश कर गयी। नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ भी भारत में मिल गया। फरवरी 1948 में वहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जो भारत में विलय के पक्ष में रहा। हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी, जो चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। वह ढेर सारे हथियार आयात करता रहा। पटेल चिंतित हो उठे। अन्ततः भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। नेहरू ने काश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक अन्तरराष्ट्रीय समस्या है। कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले गये ।
5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 और 35(अ) समाप्त हुआ। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया और सरदार पटेल का भारत को अखण्ड बनाने का स्वप्न साकार हुआ। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रेदश अस्तित्व में आये। अब जम्मू-कश्मीर केन्द्र के अधीन रहेगा और भारत के सभी कानून वहाँ लागू होंगे। पटेल जी को कृतज्ञ राष्ट्र की यह सच्ची श्रद्धांजलि है।
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