10/11/2019, 12:58
kalam मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की 61वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था, लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह दूरदर्शी नेता के साथ-साथ उद्भट विद्वान, प्रखर पत्रकार और लेखक भी थे।आज मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) की 61वीं पुण्यतिथि (Death Anniversary) है। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था, लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह दूरदर्शी नेता के साथ-साथ उद्भट विद्वान, प्रखर पत्रकार और लेखक भी थे।
मौलाना आजाद के पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक विद्वान थे जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं और उनके सैकड़ों शागिर्द (शिष्य) थे। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं। साल 1890 में उनका परिवार मक्का सेवापस कलकत्ता आ गया। 13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई।
मौलाना आजाद बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने उर्दू, हिन्दी, फारसी, बंगाली, अरबी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में महारत हासिल कर ली थी। उन्होंने काहिरा के अल अजहर विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र, इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्य्यन किया। उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की जैसे देशों का सफर किया।
पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, एक डिबेटिंग सोसायटी खोला और अपनी उम्र से दोगुने उम्र के छात्रों को पढ़ाया। कोलकाता में ‘लिसान-उल-सिद’ नाम की पत्रिका शुरू की। तेरह से अठारह वर्ष की उम्र के बीच उन्होंने बहुत सी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। मौलाना आजाद ने कई पुस्तकों की रचना और अनुवाद भी किया, जिसमें ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’ और ‘गुबार-ए-खातिर’ प्रमुख हैं।
उन्होंने 1912 में एक साप्ताहिक पत्रकारिता निकालना शुरू किया। उस पत्रिका का नाम अल हिलाल था। अल हिलाल के माध्यम से उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द और हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना शुरू किया और साथ ही ब्रिटिश शासन पर प्रहार किया। भला ब्रिटिश शासन को अपनी आलोचना और हिंदू-मुस्लिम एकता कैसे भाती, आखिरकार सरकार ने इस पत्रिका को प्रतिबंधित कर दिया।
ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होकर अंग्रेजी हुकूमत का विरोध किया। उन्होंने अपनी एक साप्ताहिक पत्रिका ‘अल-बलाग’ में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर आधारित भारतीय राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों का प्रचार-प्रसार किया। मौलाना आजाद हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर और भारत विभाजन के धुर विरोधी थे।
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्री रहे। 22 फरवरी, 1958 को हृदय आघात से उनका निधन हो गया था। 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान में उनके जन्म दिवस, 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस घोषित किया गया। इसके अलावा देश भर के कई शिक्षा संस्थानों और संगठनों का नामकरण उनके नाम पर किया गया है।
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही 'भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान' अर्थात 'आई.आई.टी.' और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकिसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।[कृपया उद्धरण जोड़ें]
संगीत नाटक अकादमी (1953)
साहित्य अकादमी (1954)
ललितकला अकादमी (1954)
केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सारभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की।
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